सचिन तेन्दुलकर के बारे में तो देश का बच्चा-बच्चा जानता है लेकिन उनके बचपन के मित्र विनोद कांबली बहुत कम हीं लोगों को याद होंगे। कांबली में सचिन जैसी हीं प्रतिभा थी। दोनों जब क्रीज पर होते थे तब अच्छे-अच्छे गेंदबाजों के पसीने छूट जाते थे।
सचिन और कांबली ने अपने स्कूल क्रिकेट में 664 रनों की रिकॉर्ड की साझेदारी की थी जो कि लगभग 30 सालों तो वर्ल्ड रिकॉर्ड बनी रही। इस साझेदारी के बाद हीं सचिन और कांबली पर दुनिया की नजर गई थी। हालांकि सचिन को जल्दी हीं अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलने का मौका मिल गया जबकि कांबली को थोड़ा इंतजार करना पड़ा।
लोटा लेकर जाते थे टॉयलेट
टेस्ट क्रिकेट में लगातार दो दोहरे शतक बनाने वाले विनोद कांबली रियल लाइफ में आजाद ख्यालों वाले व्यक्ति हैं। एक इंटरव्यू में उन्होने बताया था कि जब वो भारतीय क्रिकेट टीम में अपनी जगह बना चुके थे और कई देशों का दौरा भी कर चुके थे तब भी वो मुंबई की एक चॉल में रहते थे। उस चॉल में एक कॉमन बाथरूम था जिसमे टॉयलेट जाने के लिए हर सुबह लोग लाइन लगाया करते थे।
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इस लाइन में विनोद कांबली भी हुआ करते थे। वो लोटा लेकर अपनी बारी आने का इंतजार करते थे। हालांकि जब कांबली एक क्रिकेटर के तौर पर मशहूर हो गए तब उन्हे इस लाइन से मुक्ति मिल गई और लोग उन्हे देखते हीं खुद ब खुद पहले जाने देते थे लेकिन इसके बावजूद भी वह चॉल के नियमों का पालन करते हुए लोटा लेकर लाइन में लगे रहते थे।
स्कूटी से जाते थे मैच खेलने
कांबली ने अपने इंटरव्यू में बताया कि जब भी मुंबई में मैच होता था तब भारतीय टीम के स्टार खिलाड़ी कपिल देव, अज़हरुद्दीन और सचिन तेंदूलकर इत्यादि अपनी महंगी और लग्जरी कार में बैठ कर ताज होटल पहुंचते थे और गेटमैन को चाभी देकर पार्क करने के लिए कहते थे। उस समय कांबली के पास एक सफ़ेद रंग की कायनेटिक हौंडा स्कूटी हुआ करती थी। वह उसी से ताज होटल जाते थे और चाभी गेटमैन देकर कहते थे कि इन कारों के बीच में मेरी स्कूटी पार्क कर दे। इतना ही नही वह मैच के बाद वापसी भी इसी अंदाज से करते थे।
क्रिकेट टीम से निकाले जाने के कुछ समय बाद कांबली और सचिन में मतभेद हो गया। कांबली ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि अगर सचिन चाहते तो उन्हे टीम से नही निकाला जाता लेकिन सचिन ने उनके लिए बोर्ड से कोई सिफारिश नही की। इस बात के मीडिया में आने के बाद दोनों के बीच अनबन की भी खबरें आई और ये तक सुनने को मिला कि अब दोनो के बीच बातचीत बिल्कुल हीं बन्द हो गया है। हालांकि कुछ समय के बाद दोनों के बीच फिर से सब कुछ ठीक हो गया।
17 टेस्ट मैच में 1084 रन और 104 वनडे मैच में 2477 रन बनाने वाले विनोद कांबली नि:संदेह एक बेहतरीन बल्लेबाज थे लेकिन उन्होने अपनी इस प्रतिभा के साथ न्याय नही किया जिस कारण नए खिलाड़ियों को मौका देने के लिये क्रिकेट बोर्ड ने उन्हे बाहर का रास्ता दिखाया। हालांकि कांबली ने वापसी की कोशिश की लेकिन तब तक युवराज, कैफ जैसे खिलाड़ियों ने टीम में अपनी जगह मजबूत कर ली थी। बहरहाल, कांबली को उनके बेहतरीन क्रिकेट के लिए हमेशा याद रखा जाएगा।
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