अक्सर आपके पास वॉट्सएप्प पर एक मैसेज आता होगा जिसमे लिखा होता है कि अगर आप 90 दिनों तक विदेशी सामान न खरीदें तो भारतीय रूपया मजबूत हो जाएगा और 1 रूपए की कीमत 1 डॉलर के बराबर पहुँच जाएगी। इस मैसेज को पढने के बाद लोग जोश में आ जाते हैं और अपने सारे कॉन्टैक्ट्स को फॉरवर्ड कर देते हैं और इस तरह इस मैसेज की चेन सीरिज चल पड़ती है।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर वाकई में 1 डॉलर की वैल्यू 1 रूपए के बराबर हो जाए तो हमारे देश की अर्थव्यवस्था पर, हमारे रोजमर्रा के जीवन पर क्या असर पड़ेगा/ हो सकता है आपने इस बारे में न सोचा हो। कोई बात नहीं, हम आपको बताएंगे कि अगर वाकई में रूपए ने डॉलर को पटखनी दे दी तो हमारे देश पर इसका क्या पॉजिटिव और नेगेटिव असर पड़ेगा।
आगे बढने से से पहले हम आपको जरूरी बात बताना चाहेंगे कि जरूरी नहीं है कि किसी देश की करेंसी के मजबूत होने से उस देश की अर्थव्यवस्था भी मज़बूत होगी। अगर ये बात सही होती, तो बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था जापान से ज्यादा मज़बूत होती, क्यूंकि एक बांग्लादेशी Taka की कीमत एक जापानी yen से ज्यादा है।(1 Taka = 1.28 Yen) आइए जानते हैं रूपए के मजबूत से होने वाले पॉजिटिव असर के बारे में।
रूपए की मजबूती से फायदा
आयात (Import)
1) रूपए की मजबूती का सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि भारत जिन सामानों को इम्पोर्ट यानि आयात करता है उसकी कीमत बहुत ही कम हो जाएगी, जिससे हर वो सामान जो कि हम विदेशों से आयात करके मंगवाते हैं, सस्ते हो जाएंगे।
2) जितने भी महंगे विदेशी सामान हैं Luxurious Goods इन सभी की कीमत अचानक से जम़ीन पर आ जाएगी। कल तक जो सामान आपकी पहुँच से बहुत दूर था वो सिर्फ कुछ ही रुपए में आपके हाथों में होगा। आइए इसे एक उदाहरण से समझते हैं। चूंकि अभी 1 डॉलर की कीमत 71 रूपए से ज्यादा है।
इसलिए मान लीजिए अगर एक आईफोन की कीमत 71,000 रूपए है, तो अमेरिकी डॉलर में उसकी कीमत 1000 डॉलर होगी। अब अगर भारत का रूपया भी डॉलर के बराबर हो जाए तो कल तक जो आईफोन आपके लिए सपना था आज वो सिर्फ 1000 रूपए की कीमत में आपके हाथों में होगा। सिर्फ आईफोन ही नहीं, बल्कि हर वो चीज जो हम विदेशों से मंगवाते हैं वो सभी सस्ते हो जाएंगे।
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3) रूपए की कीमत डॉलर के बराबर होने से जो सबसे बड़ा फायदा होगा वो ये कि क्रुड ऑयल यानि कच्चा तेल बहुत ही सस्ता हो जाएगा। हम सभी जानते हैं कि भारत अपनी जरूरत का ज्यादातर Crude Oil खाड़ी देशों से Import करता हैं, जिसका पेमेन्ट डॉलर में किया जाता है। अगर रूपया, डॉलर के बराबर आ जाता है तो क्रुड ऑयल तो सस्ते होंगे ही, साथ ही हमारे देश में Transport भी बेहद ही सस्ता हो जाएगा।
इससे दूसरे जरूरी सामानों की Transportation Cost सस्ती हो जाएगी यानि सामानों को एक जगह से दूसरी जगह लाने या ले जाने में जो खर्च आता था उसमे कमी आएगी जिससे महंगाई भी कम हो जाएगी और ये भारत की अर्थव्यवस्था के लिए काफ़ी फायदेमंद साबित होगा।
4) भारत ने वर्ल्ड बैंक या दूसरे देशों से जो भी कर्जे लिए हुए हैं उसे चुकाना आसान हो जाएगा। जून 2019 तक भारत का विदेशी कर्ज 514.4 अरब डॉलर था यानि आज की डेट में 36,000 अरब रूपए से भी ज्यादा। लेकिन अगर रूपए की कीमत डॉलर के बराबर हो जाती है तो भारत को 36,000 अरब रूपए की जगह 514.4 अरब रूपए ही चुकाने पड़ेंगे। जाहिर सी बात है कि कर्ज का निपटारा भी आसान हो जाएगा।
ये सब सुनने में आपको बहुत ही अच्छा लग रहा होगा लेकिन पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त। फायदे की बात तो आपने जान लिया। अब जरा इसके नुकसान भी देख लेते हैं।
रूपए की मजबूती से नुकसान
निर्यात (Export)
1) रूपए की मजबूती से जहां एक ओर हमारा Import/आयात सस्ता जाएगा वहीं दूसरी ओर Export/निर्यात में हमें नुकसान होना शुरू हो जाएगा। क्योंकि कल तक हमारे जो प्रोडक्ट दूसरे देशों के लिए सस्ते हुआ करते थे वो अब उनके लिए महंगे हो जाएंगे। अब आप खुद सोचिए कि ऐसे में कोई भी देश हमसें महंगा समान क्यों खरीदना चाहेगा जबकि वही सामान उस देश को दूसरे देशों से हमसे भी सस्ते में मिल जाएगा। इसका नतीजा ये होगा कि हमारे देश का एक्सपोर्ट अचानक से बहुत ज्यादा गिर जाएगा और गिरता हुआ Export किसी भी विकासशील देश के लिए कम से कम फायदे का सौदा तो नहीं होता।
2) अभी हमारे देश में विदेशी कंपनियों को सस्ते लेबर मिल जाते हैं। लेकिन 1 रुपया 1 डॉलर के हालात में, इन कंपनियों के लिए Indian Labour Cost बढ़ जाएंगी। आइए इसे एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए कि एक अमेरिकी कंपनी अमेरिका में एक इंजीनियर को 5000 डॉलर यानि लगभग साढे तीन लाख रूपए देती है जबकि भारत में उसे एक इंजीनियर को 71,000 रूपए यानि सिर्फ 1000 डॉलर देने पड़ते हैं। ऐसे में वो कंपनी अपना सारा काम भारत से करवाती है जिससे उसे अच्छी खासी बचत होती है।
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लेकिन रूपए के डॉलर के बराबर पहुँच जाने से उस कंपनी को भारत में नुकसान होने लगेगा क्योंकि जो इंजीनियर कल तक 71,000 रूपए कमा रहा था वो तो उतना ही मांगेगा लेकिन कंपनी के लिए ये 71,000 डॉलर के बराबर हो जाएगा। इस स्थिति में कंपनी के लिए भारत में बिजनेस घाटे का सौदा बन जाएगा और कंपनी अपना बोरिया-बिस्तर समेट कर अपने देश चली जाएगी जिस कारण हमारे देश में बेरोजगारी की समस्या बहुत तेजी से बढेगी।
3) रूपए की मजबूती से लेबर कॉस्ट महंगे होने के कारण देशी कंपनियां भी अपने काम में टेक्नोलॉजी यानि रोबॉट का इस्तेमाल करने लगेंगी जिससे देश में बेरोजगारी अपने चरम पर पहुँच जाएगी। लोग कम सैलरी में भी काम करने को तैयार हो जाएंगे। ऐसे में अगर उनके ऊपर कोई लोन भी होगा तो वो उसे चुका पाने में असमर्थ होंगे और इसका सीधा असर बैंको पर पड़ेगा। अनपेड लोन के बोझ से दब कर बैंक भी दिवालिया होने लगेंगे और हमारे देश की अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी।
4) विदेशों में काम कर रहे भारतीय भी वापस आने लगेंगे क्योंकि वहां मिलने वाली सैलरी से उन्हे कुछ खास फायदा नहीं होगा। ऐसे में उनके वापस आने से देश में स्किल्ड बेरोजगारों की फौज खड़ी हो जाएगी जो कम से कम देशहित में तो बिल्कुल नहीं होगा।
अब आप कहेंगे कि हमे विदेशी कंपनियों की जरूरत ही क्या है? हम अपनी स्वदेशी कंपनियों को आगे बढाकर इस समस्या से निपट लेंगे तो ये इतना आसान भी नहीं है।
1991 तक भारत ने स्वदेशी पर ही जोर दिया था जिससे हमारे देश का आर्थिक विकास न के बराबर था। इसके अलावा अगर हम दूसरे देशों की वस्तुओं का बहिष्कार करेंगे, तो वो भी हमारे साथ वही करेंगे।
अगर हम अपना आयात कम करते हैं, तो दूसरे देश भी हमसे सामान खरीदना कम कर देंगे जिससे निर्यात में भी कमी आएगी और हमारा Forex रिज़र्व लगभग समाप्त हो जायेगा और हम क्रुड ऑयल जैसी जरूरी चीजें नहीं खरीद पाएंगे।
ये सारी बातें सरकार और आरबीआई को अच्छे से पता है। इसलिए कभी भी सरकार रूपए को ज्यादा मजबूत करने के लिए कोई बड़ा कदम नहीं उठाती है। बस सभी सरकारों की यही कोशिश रहती है कि डॉलर के मुकाबले रूपए का एक निश्चित बैलेंस बना रहे यानि न तो रूपया ज्यादा नीचे गिरे और न ही ज्यादा ऊपर उठे।
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