आजकल सोशल साइट्स पर एक बात धड़ल्ले से कही जा रही है कि भारत कभी इजरायल नही बन सकता क्यूँकि यहाँ के लोगों की सोच इजरायलियों की तरह नही है। इसी के साथ इजरायल की एक सच्ची घटना भी शेयर की जा रही है और उसे 2001 में भारत में हुए कांधार विमान अपहरण कांड से भी तुलना की जा रही है। आखिर क्या है वो कहानी? आइये जानते हैं इस बारे में।
ऑपरेशन एन्तेबे (Operation Entebbe)
आज से 41 साल पहले 27 जून 1976 को तेल अवीव से पेरिस जा रही एयर फ़्रांस की फ़्लाइट 139 ने एथेंस में रुकने के बाद फिर से उड़ान भरी ही थी कि फ्लाइट में चार यात्री एकदम से उठे। उनके हाथों में पिस्टल और ग्रेनेड थे। उन्होंने विमान पर नियंत्रण करने के बाद पायलट को लीबिया के शहर बेनग़ाज़ी चलने का आदेश दिया। इन चार अपहरणकर्ताओं में दो फ़लस्तीनी थे और दो जर्मन।
उस विमान में सफ़र कर रहे एक यात्री जियान हारतुव उस दिन को याद करते हुए बताते हैं कि उन चारों में से एक महिला ब्रिजेत कुलमान ने हैंड ग्रेनेड की पिन निकालकर सारे यात्रियों को धमकाया कि अगर किसी ने भी प्रतिरोध करने की कोशिश की तो वो विमान में धमाका कर देगी। बेनग़ाज़ी में सात घंटे रुकने और ईंधन लेने के बाद अपहरणकर्ताओं ने पायलट को आदेश दिया कि विमान को युगांडा के एन्तेबे हवाई अड्डे ले जाया जाए।
उस समय युगांडा में तानाशाह इदी अमीन का शासन था। उनकी पूरी सहानुभूति अपहरणकर्ताओं के साथ थी। एन्तेबे हवाई अड्डे पर चार और साथी उनसे आ मिले। उन्होंने यहूदी बंधकों को अलग कर दिया और दुनिया के अलग अलग देशों की जेलों में रह रहे 54 फ़लस्तीनी कैदियों को रिहा करने की मांग की और धमकी दी कि ऐसा नहीं किया गया तो वे यात्रियों को एक-एक करके मारना शुरू कर देंगे। एन्तेबे इजरायल से करीब 4000 किलोमीटर दूर था, इसलिए किसी बचाव मिशन के बारे में सोचा तक नहीं जा सकता था।
यात्रियों के संबंधियों ने तेल अवीव में प्रदर्शन करने शुरू कर दिए थे। बंधक बनाए गए लोगों में से कुछ इजरायली प्रधानमंत्री रबीन के क़रीबी भी थे। उन पर बहुत दबाव था कि बंधकों को हर हालत में छुड़ाया जाए। बंधकों में से एक सारा डेविडसन याद करती हैं कि अपहरणकर्ताओं ने बंधकों को दो समूहों में बांट दिया था। आतंकियों ने लोगों के नाम पुकारे और उन्हें दूसरे कमरे में जाने के लिए कहा। थोड़ी देर बाद पता चल गया कि वो सिर्फ यहूदी लोगों के नाम पुकार रहे हैं।
इस बीच अपहरणकर्ताओं ने 47 ग़ैर यहूदी यात्रियों को रिहा कर दिया। उन्हें एक विशेष विमान से पेरिस ले जाया गया। वहाँ इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के जासूसों ने उनसे बात कर एन्तेबे के बारे में छोटी से छोटी जानकारी जुटाने की कोशिश की। मोसाद के एक एजेंट ने कीनिया में एक विमान किराए पर लेकर एन्तेबे के ऊपर उड़ान भरकर उसकी बहुत सारी तस्वीरें खींची।
दिलचस्प बात यह थी कि एन्तेबे हवाई अड्डे के टर्मिनल को, जहाँ बंधकों को रखा गया था, एक इजरायली कंपनी ने बनाया था। कंपनी ने उस टर्मिनल का नक्शा उपलब्ध कराया और रातों रात इजरायल में एक नकली टर्मिनल खड़ा कर लिया। इजरायली सेना के 200 सर्वश्रेष्ठ सैनिकों को इस मिशन के लिए चुना गया। कमांडो मिशन में सबसे बड़ी अड़चन इस बात की थी कि कहीं एन्तेबे हवाई अड्डे के रनवे की बत्तियाँ रात में बुझा तो नहीं दी जाएंगी और इदी अमीन के सैनिक विमान को उतरने से रोकने के लिए रनवे पर ट्रक तो नहीं खड़ा कर देंगे।
इस बीच इजरायल की सरकार ने संकेत दिया कि वो अपहरणकर्ताओं से बातचीत करने के लिए तैयार है ताकि कमांडोज़ को तैयारी के लिए थोड़ा समय मिल जाए। इदी अमीन के दोस्त समझे जाने वाले पूर्व सैनिक अधिकारी बार लेव को उनसे बात करने के लिए लगाया गया। उन्होंने अमीन से कई बार फ़ोन पर बात की लेकिन वो बंधको को छुड़ा पाने में असफल रहे। इस बीच इदी अमीन अफ़्रीकी एकता संगठन की बैठक में भाग लेने के लिए मॉरिशस की राजधानी पोर्ट लुई चले गए जिससे इसराइल को और समय मिल गया।
पूरे मिशन की बड़ी दिक्कत ये थी कि 4000 किलोमीटर जाकर 4000 किलोमीटर वापस भी आना था. इसलिए हवा में ही उड़ते विमान से दूसरे विमान में ईधन भरा गया। ब्रिगेडियर जनरल डैम शॉमरॉन को पूरे मिशन की ज़िम्मेदारी दी गई, जबकि लेफ़्टिनेंट कर्नल योनाथन नेतन्याहू (वर्तमान इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहु के भाई) को फ़ील्ड ऑपरेशन का इंचार्ज बनाया गया। इजरायल के पास तीन विकल्प थे- पहला हमले के लिए विमानों का सहारा लिया जाए, दूसरा नौकाओं से वहाँ पहुंचा जाए और तीसरा कीनिया से सड़क मार्ग से युगांडा में घुसा जाए।
अंतत: तय हुआ कि एन्तेबे पहुंचने के लिए विमानों का इस्तेमाल होगा और युगांडा के सैनिकों को ये आभास दिया जाएगा कि इन विमानों में राष्ट्रपति अमीन विदेश यात्रा से लौट रहे हैं। 4 जुलाई को इजरायल के साइनाइ बेस से चार हरक्यूलिस जहाज़ों ने उड़ान भरी। सिर्फ़ 30 मीटर की ऊंचाई पर उड़ते हुए उन्होंने लाल सागर पार किया ताकि मिस्र, सूडान और सऊदी अरब के रडार उन्हें न पकड़ पाएं। रास्ते में इजरायली कमांडोज़ ने युगांडा के सैनिकों की वर्दी पहन ली।
विमानों के उड़ान भरने के बाद ही प्रधानमंत्री राबीन ने इस मिशन की जानकारी मंत्रिमंडल को दी। इस मिशन का नाम था ऑपरेशन एन्तेबे। सात घंटे लगातार उड़ने के बाद रात के एक बजे पहला हरक्यूलिस विमान एन्तेबे के ऊपर पहुंचा। उसके पास लैंड करने और अपहरणकर्ताओं पर काबू पाने के लिए सिर्फ छह मिनट का समय था। उस समय रनवे की लाइट जल रही थी। लैंड करने से आठ मिनट पहले ही हरक्यूलिस के रैंप खोल दिए गए ताकि कम से कम समय बर्बाद हो।
लैंड करते ही पायलट ने विमान को रनवे के बीचोंबीच रोक लिया ताकि पैराट्रूपर्स के एक दल को नीचे उतारा जा सके और वो रनवे पर पीछे आ रहे विमानों के लिए एमरजेंसी लाइट लगा सकें। जहाज़ से एक काली मर्सिडीज़ कार उतारी गई। यह उस कार से बहुत मिलती-जुलती थी जिसे राष्ट्रपति अमीन इस्तेमाल किया करते थे। उसके पीछे कमांडोज़ से भरी हुई दो लैंड रोवर गाड़ियाँ भी उतारी गईं। इन वाहनों ने तेज़ी से टर्मिनल की तरफ बढ़ना शुरू किया। कमांडोज़ को आदेश थे कि वो तब तक गोली न चलाएं जब तक वो टर्मिनल तक नहीं पहुंच जाते।
इजरायली कमांडोज को उम्मीद थी कि काली मर्सिडीज़ कार देखकर युगांडा के सैनिक समझेंगे कि इदी अमीन बंधकों से मिलने आए हैं। लेकिन इजरायलियों को ये पता नहीं था कि कुछ दिन पहले ही अमीन ने अपनी कार बदल दी थी और अब वो सफेद मर्सिडीज़ का इस्तेमाल कर रहे थे। यही वजह थी कि टर्मिनल के बाहर खड़े युगांडा के सैनिकों ने अपनी राइफ़लें निकाल लीं। इसराइली कमांडोज़ ने उन्हें साइलेंसर लगी बंदूकों से वहीं उड़ा दिया। उनका भेद खुल चुका था।
गोली चलते ही कमांडर ने आदेश दिया कि वाहनों से उतरकर पैदल ही उस टर्मिनल के भवन पर धावा बोल दिया जाए जहाँ यात्रियों को रखा गया था। कमांडोज़ ने बुल हॉर्न के ज़रिए बंधकों से अंग्रेज़ी और हिब्रू में कहा कि वो इजरायली सैनिक हैं और उन्हें बचाने के लिए आए हैं। उन्होंने यात्रियों से फ़ौरन लेट जाने के लिए कहा।
उन्होंने यात्रियों से हिब्रू में पूछा कि अपहरणकर्ता कहाँ हैं। यात्रियों ने मुख्य हॉल में खुलने वाले दरवाज़े की तरफ़ इशारा किया। कमांडोज़ हैंड ग्रेनेड फेंकते हुए हॉल में घुसे। इसराइली कमांडोज़ को देखते ही अपहरणकर्ताओं ने गोलियाँ चलाना शुरू कर दिया। गोलियों के आदान-प्रदान में सभी अपहरणकर्ता मारे गए। माता-पिता अपने बच्चों को बचाने के लिए उनके ऊपर लेट गए।
तीन बंधक को भी गोलियां लगी। इस बीच दो और इजरायली विमान वहाँ उतर चुके थे। उनमें भी इजरायली सैनिक थे। चौथा विमान पूरी तरह से खाली था ताकि उसमें बचाए गए बंधकों को ले जाया जा सके। एन्तेबे पर उतरने के बीस मिनटों के भीतर ही बंधकों को लैंडरोवर्स में भरकर खाली विमान में पहुंचाया जाने लगा था। इस बीच युगांडाई सैनिकों ने गोलियाँ चलानी शुरू कर दी थी और पूरे हवाई अड्डे की बत्ती गुल कर दी गई थी।
चलने से पहले हर एक सैनिक की गिनती की गई। इस पूरे अभियान में इजरायल का सिर्फ एक सैनिक मारा गया। कंट्रोल टॉवर के ऊपर से चलाई गई एक गोली लेफ़्टिनेंट कर्नल नेतन्याहू के सीने में लगी और वो वहीं गिर गए। सैनिकों ने घायल नेतन्याहू को विमान में डाला और एन्तेबे में लैंड करने के 58 मिनट बाद बचाए गए यात्रियों को विमान में बैठा कर वहाँ से निकल गए।
उड़ने से पहले उन्होंने एन्तेबे पर खड़े 11 मिग जहाज़ों को नष्ट कर दिया ताकि वो उनका पीछा नहीं कर सकें। नेतन्याहू ने वापसी उड़ान के दौरान दम तोड़ दिया। इस मिशन में सभी सात अपहरणकर्ता और 20 युगांडाई सैनिक मारे गए। एक बंदी डोरा ब्लॉक को वापस नहीं लाया जा सका क्योंकि वो हमले के समय कंपाला के मुलागो अस्पताल में थी। बाद में युगांडा के अटॉर्नी जनरल ने वहाँ के मानवाधिकार आयोग को बताया कि इस मिशन के बाद इदी अमीन के आदेश पर दो सैनिक अफ़सरों ने डोरा ब्लॉक की अस्पताल के पलंग से खींचकर हत्या कर दी थी।
4 जुलाई की सुबह बचाए गए 102 यात्री और इजरायली कमांडो नैरोबी होते हुए तेल अवीव पहुंचे। इस पूरे अभियान को इजरायल हीं नही दुनिया के इतिहास का सबसे दुस्साहसी मिशन माना गया। इजरायली सेना और मोशाद के नाम ऐसे कई दुस्साहसी अभियान दर्ज है।
अब तो आप समझ गए होंगे कि क्यूँ सोशल मीडिया पर लोग इजरायली कमांडोज और मोशाद की तारीफ कर रहे हैं। ऐसा नही है कि हमारे कमांडोज भी किसी से कम हैं। 2001 में भी हमारे कमांडोज उस विमान को आतंकियों से छुड़ाने के लिए तैयार थे और उसमे इजरायल भी मदद करने को तैयार था।
लेकिन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवानी ने जनता और विपक्ष के दबाव में आकर किसी तरह की सैन्य कार्यवाही की इजाजत नही दी। अगर उस समय ये इजाजत मिल गई होती तो आज इजरायल के साथ-साथ भारतीय कमांडोज के भी किस्से सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे होते।
(इंटरनेट और विकीपीडिया पर उपलब्ध लेखों के आधार पर)
आपको यह जानकारी कैसी लगी, इस बारे में कमेंट कर के जरूर बताइयेगा और इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें। लाइक करें हमारे फेसबुक पेज को और न्यूज से सम्बंधित वीडियो देखने के लिए विजिट करें हमारे यूट्यूब चैनल को।
इसे भी पढ़ें: