Home ReligionAarti & Chalisa Om Jai Shiv Omkara Lord Shiva Aarti Lyrics in Hindi | भगवान शिव की आरती

Om Jai Shiv Omkara Lord Shiva Aarti Lyrics in Hindi | भगवान शिव की आरती

by admin
भगवान शिव

देवाधिदेव महादेव शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदि स्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। रावण, शनि, कश्यप ऋषि आदि इनके भक्त हुए है। शिव सभी को समान दृष्टि से देखते है इसलिये उन्हें महादेव कहा जाता है।

भगवान शिव के कुछ प्रचलित नाम, महाकाल, आदिदेव, किरात, शंकर, चन्द्रशेखर, जटाधारी, नागनाथ, मृत्युंजय [मृत्यु पर विजयी], त्रयम्बक, महेश, विश्वेश, महारुद्र, विषधर, नीलकण्ठ, महाशिव, उमापति [पार्वती के पति], काल भैरव, भूतनाथ, त्रिलोचन [तीन नयन वाले], शशिभूषण आदि है।

भगवान शिव को अधिकतर योगी के रूप में हीं दिखाया जाता है और उनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है। भगवान शिव के गले में नाग देवता वासुकी विराजित हैं वहीं उनके हाथों में डमरू और त्रिशूल है तथा मस्तक को चंद्र और माँ गंगा सुशोभित करते हैं। भगवान शिव कैलाश में वास करते हैं। इसलिए उन्हे कैलाशपति भी कहा जाता है। आइए पढते हैं भगवान शिव की आरती और उनसे अपनी और समस्त विश्व के कल्याण की कामना करते हैं।


भगवान शिव

Singer ANURADHA PAUDWAL
Singer SHEKHAR SEN
Music T-Series
Song Writer TRADITIONAL

भगवान शिव की आरती | ॐ जय शिव ओंकारा


ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा |
ब्रह्मा, विष्णु सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ||
ॐ जय शिव ओंकारा ||

एकानन चतुरानन, पंचानन राजै |
हंसासन गरुड़ासन, वृषवाहन साजै ||
ॐ जय शिव ओंकारा ||

दो भुज चार चतुर्भुज, दशभुज अति सोहे |
त्रिगुण रूप निरखते, त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा ||

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी |
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा ||

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी, जगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर के मध्ये, यह तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा ||

काशी में विश्वनाथ विराजे, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरती जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवांछित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥

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