हमारे देश में हर महीने कोई न कोई त्योहार या व्रत जरूर होता है। हर साल आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन जीवित्पुत्रिका व्रत होता है जिसे जितिया या जिउतिया या जीमूत वाहन का व्रत आदि नामों से जाना जाता है। हर साल यह व्रत दीपावली से 40 दिन पहले आता है लेकिन इस साल अधिक मास लगने की वजह से यह व्रत दीपावली से कई दिन पहले आ गया है।
यह व्रत महिलाएं रखती हैं। इस साल यह व्रत 6 अक्टूबर को है। यह व्रत महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए रखती हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो महिलाएं इस व्रत को रखती हैं उनके बच्चों के जीवन में सुख शांति बनी रहती है और उन्हें संतान वियोग नहीं सहना पड़ता है।
जीवित्पुत्रिका व्रत तिथि
यह त्योहार खास तौर पर बिहार, बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। इस व्रत को निर्जला रखा जाता है यानि इस दिन महिलाएं बिना कुछ और बिना पानी पिए 24 घंटे तक व्रत करती हैं। यह व्रत तीन दिन का माना जाता है। एक दिन पहले नहाय-खाय के साथ जिउतिया व्रत शुरू होता है। इस बार अष्टमी तिथि 6 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 34 मिनट से लेकर 7 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 08 मिनट तक रहेगी। 6 अक्टूबर को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। आप इस अबूझ मुहूर्त में पूजा कर सकते हैं। अष्टमी के दिन स्त्रियां निर्जला व्रत शुरू कर देती हैं।
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अष्टमी तिथि को पूरा दिन और पूरी रात स्त्रियां बिना अन्न, जल और फल खाए रहती हैं। फिर अगले दिन यानि नवमी तिथि को जिउतिया व्रत खोला जाता है जिसे पारण करना कहा जाता है। नवमी तिथि को यह व्रत शुभ मुहुर्त में खोला जाता है। व्रत खोलने से पहले दान-दक्षिणा की सामग्री को अलग निकाला जाता है। उसके बाद ही व्रती स्त्री कुछ खा-पी कर अपना व्रत खोलती है।
जिउतिया व्रत नहाय खाय विधि
सप्तमी के दिन नहाय खाय का नियम होता है. बिल्कुल छठ महापर्व की तरह ही जिउतिया में नहाय खाय होता है। इस दिन महिलाएं सुबह-सुबह उठकर गंगा स्नान करती हैं और पूजा करती हैं। अगर आपके आसपास गंगाजी नहीं हैं तो आप सामान्य स्नान कर भी पूजा का संकल्प ले सकती हैं। नहाय खाय के दिन सिर्फ एक बार ही भोजन करना होता है। इस दिन सात्विक भोजन किया जाता है।
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सामान्य तौर पर व्रती को इस दिन मड़ुआ रोटी, नोनी का साग, कंदा, झिमनी आदि का सेवन करना होता है। स्नान और भोजन के बाद पित्तरों की पूजा की जाती है। नहाय-खाय की रात को छत पर जाकर चारों दिशाओं में कुछ खाना रख दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि यह खाना चील व सियारिन के लिए रखा जाता है।
जिउतिया व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त
इस बार आश्विन कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि 6 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 34 मिनट से लेकर 7 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 08 मिनट तक रहेगी। 6 अक्टूबर को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। आप इस अबूझ मुहूर्त में पूजा कर सकते हैं। बाद अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी। जिउतिया व्रत का पारण 07 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 10 मिनट के बाद किया जा सकेगा।
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इस व्रत को करते समय केवल सूर्योदय से पहले ही खाया-पिया जाता है। सूर्योदय के बाद पानी भी नहीं पी सकते हैं। नवमी के दिन सुबह व्रत का पारण किया जाता है। इस व्रत में सूर्योदय से पहले भी मीठा ही भोजन किया जाता है। इस व्रत में माता जीवित्पुत्रिका और राजा जीमूतवाहन दोनों की पूजा एवं अपने पुत्रों की लम्बी आयु के लिए प्रार्थना की जाती है। अगले दिन सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही कुछ खाया पिया जा सकता है। इस व्रत में तीसरे दिन भात, मड़ूवा की रोटी और नोनी का साग खाए जानें की परंपरा है।
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