जरा सोचिए आप घर में बैठे हों और अचानक आपको बालकनी से दिखे कि एक हेलिकॉप्टर से नोट बरसाये जा रहे हों। तो आपका क्या रिएक्शन होगा? आप कहेंगे कि ये कैसी बेतुकी बात है। भला हेलिकॉप्टर से नोट क्यों बरसाए जाएंगे? ये सच है कि हेलिकॉप्टर से नोट नहीं बरसाए जाते हैं लेकिन इकॉनमिक वर्ल्ड में एक टर्म यूज होता है ‘हेलिकॉप्टर मनी’ जिसे ‘मॉनेट्री हेलिकॉप्टर’ भी कहते हैं।
कोरोना वायरस के कारण लगभग पूरी दुनिया लॉकडाउन हो चुकी है। व्यापार-धंधे सब ठप्प पड़ चुके हैं। आईएमएफ ने भी अब तक की सबसे बड़ी मंदी की संभावना जता दी है। ऐसे में अमेरिका सहित कुछ देशों में अर्थशास्त्रियों द्वारा हेलिकॉप्टर मनी की संभावनाएं भी जताई गई।
लेकिन अपने देश में असल चर्चा तब शुरू हुई जब तेलंगाना के सीएम केसीआर ने रिजर्व बैंक से हेलीकॉप्टर मनी जारी करने की मांग की। पूरे देश के लिए यह एक नई चीज थी। आज हम आपको बताएंगे कि हेलिकॉप्टर मनी क्या है और इसके फायदे तथा नुकसान क्या-क्या हैं।
हेलिकॉप्टर मनी क्या है? (What is Helicopter Money)
हेलिकॉप्टर मनी टर्म का सर्वप्रथम प्रयोग 1969 में अर्थशास्त्री मिल्टन फ्रीडमैन ने किया था। फ्रीडमैन के अनुसार, जब किसी देश का केन्द्रीय बैंक उस देश में आई मंदी को दूर करने के लिए ज्यादा मात्रा में नोट छाप कर सरकार को दे देता है ताकि सरकार उसे आम जनता में मुफ्त में बाँट सके। इसे ही हेलिकॉप्टर मनी कहते हैं। इस तरह के पैसे की खास बात ये होती है कि सरकार न तो आम जनता से ये पैसे वापस लेती है और न ही ये पैसा उसे रिजर्व बैंक को वापस करने होते हैं।
यानि एक तरह से यह प्रतीकात्मक रूप से हेलिकॉप्टर से पैसे बरसाने के जैसा ही है क्योंकि जनता को इस अप्रयाशित धन की उम्मीद नहीं होती है और आम जनता के लिए अच्छी बात ये भी होती है कि उन्हे इस पैसे को वापस करने की जरूरत भी नहीं होती है। अब सवाल ये उठता है कि –
हेलिकॉप्टर मनी की जरूरत क्यों पड़ती है? (Why is Helicopter Money Needed)
जब भी किसी देश की अर्थव्यवस्था भारी मंदी की चपेट में आती है तो गहराते आर्थिक संकट के बीच वहाँ की सरकार लोगों को इस उम्मीद से मुफ्त में पैसे बांटती हैं ताकि इससे उनका खर्च और उपभोग बढ़ेगा और देश की अर्थव्यवस्था सुधरेगी। अर्थशास्त्र के सिद्धांत ये कहते हैं कि जब आर्थिक संकट अपने चरम पर पहुंच जाए तो ये आखिरी विकल्प होता है। यानि सरकार के सामने देश की अर्थव्यवस्था को बचाने यही एकमात्र रास्ता बचता है।
हेलिकॉप्टर मनी से क्या फायदे हैं? (What are the benefits of Helicopter Money)
हेलिकॉप्टर मनी का फायदा सिर्फ इतना ही है कि इससे किसी भी देश की डूबती अर्थव्यवस्था को तात्कालिक तौर पर राहत मिल जाता है। लोग सरकार से मिले पैसे को खर्च करना शुरू कर देते हैं और साथ में अपने पास मौजूद पैसे को भी खर्च करते हैं। इससे मार्केट में पैसे का प्रवाह शुरू होता है और अर्थव्यवस्था को गति मिलती है। इस तरह हेलिकॉप्टर मनी से सरकारें देश की डूबती अर्थव्यवस्था को बचाने की एक आखिरी कोशिश करती हैं।
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हेलिकॉप्टर मनी के नुकसान (Disadvantage of Helicopter Money)
तात्कालिक तौर पर हेलिकॉप्टर मनी से भले ही फायदा दिखे लेकिन दूरगामी तौर पर इसके नुकसान ही नुकसान है। इस व्यवस्था के अंतर्गत केंद्रीय बैंक अनलिमिटेड पैसा छापता है लेकिन बदले में उसे सरकार से कुछ हासिल नहीं होता।
अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, यह एक दोधारी तलवार की तरह होती है यानि जनता ने उस पैसे को पूरा खर्च किया तब तो अर्थव्यवस्था में सुधार हो सकता है लेकिन अगर जनता उस पैसे को अपने भविष्य के लिए बचा लेगी तो ऐसे में उस देश की अर्थव्यवस्था को डूबने से कोई नहीं रोक पाएगा।
और अगर अर्थव्यवस्था में कुछ सुधार हो जाए तब भी उस देश की मुद्रा का अवमूल्यन यानि हायपरइन्फ्लेशन हो जाता है इससे अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में उस मुद्रा की कीमत घट जाती है। इस स्थिति को मुद्रास्फीति कहते हैं। इस व्यवस्था का सबसे पर्फेक्ट उदाहरण जिम्बॉब्वे और वेनेजुएला है, जहां इस कदर बेहिसाब नोट छापे गए कि उनकी कीमत कौड़ियों के बराबर भी नहीं रह गई।
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एक्सपर्ट्स का ये भी कहना है कि सरकारों को इस तरह मुफ्त में पैसे बाँटने की जगह जरूरी चीजों पर टैक्स में छूट देनी चाहिए या उन्हे टैक्स फ्री कर देना चाहिए जिससे कि सिस्टम में पैसे का प्रवाह बना रहे। हालांकि ये भी एक तरह से हेलिकॉप्टर मनी के जैसा ही है। इससे भले हीं सरकार और उद्योंगो को कुछ समय के लिए नुकसान उठाना पड़ेगा लेकिन सिस्टम में पैसे की लिक्विडिटी बनी रहेगी।
हालांकि अभी तक अपने देश में इस तरह की नौबत नहीं आई है लेकिन अगर लॉकडाउन मई में फिर से बढाने की नौबत आई तो सरकार और आरबीआई को इस पर गंभीरता से सोचना पड़ सकता है।
पूरी दुनिया के जानकार भी इस बात पर एकमत हैं कि दुनिया भर में छाई आर्थिक सुस्ती और गहराएगी और बेरोजगारी अपने चरम पर होगी। ऐसे में गरीबी और मायूसी से जूझ रही सरकारों के पास मौजूद सभी विकल्पों को अपनाने के अलावा कोई और चारा नहीं होगा।
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