एक समय था जब भारत में हर दूसरे-तीसरे दिन किसी न किसी घोटाले की खबर न्यूज में आती रहती थी। वैसे तो सारे घोटाले बड़े-बड़े थे लेकिन उसमे भी कुछ ऐसे बड़े घोटाले भी हुए जिनके बारे में सुनकर आम जनता भी हैरान रह गई। कई लोगों ने तो ये भी माना कि उन्होने पहली बार इतनी बड़ी रकम का घोटाला सुना है।
घोटाले की रकम के बारे में जानकर अच्छे-अच्छे मैथ्स के जानकार भी कैलकुलेटर लेकर ये जानने के लिए बैठ जाते थे कि इसमे कितने जीरो आएंगे। आज हम आपको भारत में हुए अब तक के 10 सबसे बड़े घोटाले के बारे में बताएंगे।
10) स्टैंप घोटाला (Stamp Scam)
इस लिस्ट में दसवें स्थान पर है स्टैंप घोटाला। एक समय देश का सबसे बहुचर्चित स्कैम था ये। इस घोटाले का मास्टरमाइंड था अब्दुल करीम तेलगी। तेलगी ने नकली स्टैंप पेपर छपवाकर 350 लोगों के नेटवर्क के जरिए 16 राज्यों में फर्जी स्टैंप पेपर बेचने का धंधा किया। 1990 से 2001 तक तेलगी ने अलग-अलग राज्यों में करीब 20,000 करोड़ रूपए के फर्जी स्टैम्प पेपर बेच डाले।
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2001 में उसकी गिरफ्तारी के बाद इस पूरे रैकेट का पर्दाफाश हुआ। 2006 में कोर्ट ने तेलगी को 30 साल की सजा और 202 करोड़ रूपए का जुर्माना लगाया। हालांकि 2017 में तेलगी की मौत हो गई और 2019 में नासिक की एक कोर्ट ने सबूतों के अभाव में तेलगी समेत 8 आरोपियों को बरी कर दिया।
9) रेलवे लौह अयस्क घोटाला (Railway Iron Ore Freight Scam)
सन 2008 से 2013 के बीच में रेलवे में एक और घोटाला चल रहा था लौह अयस्क का। इसमे रेलवे के कुछ अधिकारियों द्वारा लोहे की खरीद में या एक जगह से दूसरे जगह ले जाने के लिए तौल में घोटाला किया गया। इसे अंजाम देने के लिए वेइंग मशीन में छेड़-छाड़ की गई जिससे वो लोहे का सही वजन न बता सके।
इसके अलावा इन लौह अयस्क के डोमेस्टिक यूज पर रेलवे द्वारा सामान्य किराए का एक-तिहाई ही चार्ज किया गया जिससे इन 5 सालों में रेलवे को 29,236 करोड़ रूपए का नुकसान उठाना पड़ा। हालांकि इस घोटाले की अभी तक सीबीआई जाँच चल रही है। इसलिए हो सकता है इसमे और भी कुछ नई बात पता चले।
8) बेलेकरी पोर्ट स्कैम (Belekeri Port Scam)
कर्नाटक के करवार के नजदीक है बेलेकरी पोर्ट। इसी से जुड़ा है भारत का 8वां सबसे बड़ा घोटाला। दरअसल इस पोर्ट से अवैध रूप से 3.5 मिलियन टन लौह अयस्क की तस्करी की गई। 2011 में इस घोटाले का पता चला। उस वक्त तक तस्करी किए गए लौह अयस्क की मार्केट वैल्यू करीब 35,000 करोड़ रूपए थी।
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हालांकि ऐसा फाइलों में लिखा गया है जबकि ऐसा कहा जाता है कि इस तस्करी से सरकार को करीब 60,000 करोड़ रूपए का चुना लगा था। चूँकि इस खेल में बड़े-बड़े नेता, ऑफिसर और देश की बड़ी-बड़ी कंपनियाँ भी शामिल थे इसलिए तत्कालीन येदियुरप्पा सरकार ने कार्रवाई करने की खानापूर्ति करके अपना पल्ला झाड़ लिया।
7) NSE स्कैम (NSE Co-Location Scam)
NSE यानि National Stock Exchange एक ऐसी जगह जहाँ आप शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कर सकते हैं। घोटालेबाजों ने इसे भी नहीं छोड़ा। शेयर मार्केट में सारा खेल शेयर्स के प्राइस का होता है जो कब ऊपर जाएगा और कब नीचे आएगा, ये कोई नहीं जानता। लेकिन जरा सोचिए, अगर आपको पहले से ही पता चल जाए कि किस शेयर का रेट बढने वाला है और किसका गिरने वाला है, तो क्या होगा?
जाहिर सी बात है आपको कुछ ही दिनों में करोड़पति बनने से कोई नहीं रोक सकता। बिल्कुल ऐसा ही हुआ इस स्कैम में। शेयर मार्केट के कुछ खास ब्रोकर्स NSE के कुछ अधिकारियों की मिलिभगत से एक्सचेंज के सर्वर में सेंध लगाकर स्टॉक मार्केट खुलने से पहले ही किसी भी शेयर के रेट पता कर लेते थे। जिस कारण पूरे मार्केट में उनका एकाधिकार स्थापित हो गया था।
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2010 से 2014 तक चले इस खेल में ब्रोकर्स ने करीब 50,000 करोड़ रूपए की अवैध कमाई की। इस पूरे खेल में सिर्फ NSE के अधिकारी ही नहीं बल्कि कुछ नेता भी शामिल थे। 2014 में केन्द्र में सरकार बदलने के बाद जनवरी 2015 में इस पूरे षडयंत्र का पर्दाफाश हुआ और इस घोटाले की आँच यूपीए सरकार में वित्त मंत्री रहे पी चिदंबरम तक भी पहुंची और दिखावे के लिए कुछ अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया। हालांकि इस घोटाले की अभी भी सेबी, सीबीआई और इनकम टैक्स द्वारा जाँच चल रही है।
6) Odisha Industrial-Land Mortgage Scam
2014 में ओडिशा में Industrial-Land Mortgage Scam ने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया था। हर राज्य सरकार अपने स्टेट में रोजगार पैदा करने के लिए कंपनियों को इनवाइट करती है और उन्हे कौड़ियों के भाव में जमीन आवंटित करती है। करीब 52,423 करोड़ रूपए के इस घोटाले में ओडिशा की Industrial Infrastructural Development Corporation (IDCO) नें कंपनियों को बैक से कर्ज लेने के लिए ऐसी ही जमीन का एन ओ सी (NOC) यानि नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट दे दिया।
ओडिशा सरकार द्वारा गिफ्ट या लीज पर मिली जमीन का एनओसी मिलते ही कंपनियों ने इस जमीन को अपना बताते हुए इसका प्रयोग बैंकों से कर्ज लेने के तौर पर किया। 2014 में आई Comptroller & Auditor General (CAG) की रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा हुआ कि इडको ने 106 कंपनियों को 46,732 एकड़ की जमीन का पोजेशन दे दिया जबकि इडको के पास इस तरह की कोई पॉवर ही नहीं थी। फिलहाल इस मामले में भी अभी जाँच चल रही है।
5) Odisha Illegal-Mining Scam
अगला बड़ा स्कैम भी भारत के गरीब राज्यों में से एक ओडिशा में ही हुआ है। 2010 में हुए इस घोटाले में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। करीब एक दशक तक ओडिशा में अवैध माइनिंग का धंधा जोरों पर था। कई बड़ी कंपनियों, नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत से कई माइनिंग कंपनियों ने 2000 से 2010 ओडिशा में 22.80 टन की लौह और मैंगनीज अयस्क की माइनिंग की और उसका उपयोग अपने फायदे के लिए किया। जिस कारण ओडिशा सरकार को करीब 59,203 करोड़ रूपए का नुकसान हुआ। इस घोटाले की जाँच के लिए कमिशन भी बैठाई गई। लेकिन जाँच रिपोर्ट आने के बाद भी इस मामले में अभी तक ज्यादा कार्रवाई नहीं हुई है।
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4) कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला (Commonwealth Games Scam)
2011 में सामने आए कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले ने न सिर्फ देश को हिला कर रख दिया था बल्कि विदेशों में भारत की इमेज भी खराब करने में अहम भूमिका निभाई थी। भारतीय ओलंपिक संघ और राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति के तत्कालीन अध्यक्ष सुरेश कलमाडी पर इस गेम्स के आयोजन में खर्च की राशि को बढा-चढाकर पेश करने का आरोप लगा था। भारत के लिए अंतर्राष्ट्रीय शर्म का विषय बन चुके इस आयोजन में उस वक्त पुणे से कांग्रेस सांसद सुरेश कलमाडी और उनके सहयोगियों ने बड़े पैमाने पर पैसे की हेराफेरी की थी।
पैसा उन लोगों को दिया गया जो असल में थे ही नहीं यानि फेक कंपनी बनाकर उनसे तय कीमत से दोगुने में सामान की खरीद की गई। बाद में सुरेश कलमाडी को घोटाले के आरोप में जेल में डाल दिया गया और तब जाकर खुलासा हुआ कि इस गेम्स के आयोजन के दौरान करीब 70,000 करोड़ रूपए का घोटाला हुआ था।
3) 2G Spectrum Scam
2010 में सामने आए 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला उस वक्त देश का सबसे बड़ा घोटाला था। कैग की रिपोर्ट के अनुसार, 2008 में 2जी स्पेक्ट्रम के आवंटन में बड़े पैमाने पर अनियमितता बरती गई थी। कैग ने अपने ऑडिट रिपोर्ट में बताया था कि स्पेक्ट्रम के आवंटन से मिले रूपए और निलामी के लिए प्रस्तावित राशि के बीच का अंतर 1 लाख 76 हजार करोड़ रूपए यानि 1.76 ट्रिलियन था।
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इस पूरे घोटाले में तत्कालीन यूपीए सरकार में शामिल पूर्व केन्द्रीय मंत्री ए राजा, कनिमोझी और वित्तमंत्री पी चिदंबरम पर आरोप लगे थे जिसमे से ए राजा और कनिमोझी को जेल भी जाना पड़ा था। इन दोनों पर आरोप था कि इन्होने पहले आओ पहले के आधार पर अपनी पसंदीदा कंपनियों को नए रेट की बजाए 2001 में तय किए रेट के आधार पर स्पेक्ट्रम दिए थे जिससे सरकारी खजाने को 1 लाख 76 हजार करोड़ रूपए का नुकसान उठाना पड़ा था। हालांकि बाद में दूसरे अन्य घोटाले की तरह इस घोटाले के आरोपियों को भी कोर्ट ने 2017 में बरी कर दिया था।
2) कोलगेट स्कैम (Coalgate Scam)
2010 में सामने आए 2जी घोटाले के सदमे से लोग अभी उबरे भी नहीं थे कि 2 साल बाद 2012 में तत्कालीय यूपीए सरकार का एक नया घोटाला सामने आ गया जो पहले वाले घोटाले से भी बड़ा था। इस स्कैम का भी खुलासा कैग ने किया था। अपने ऑडिट रिपोर्ट में कैग ने बताया कि 2004 से 2009 तक तत्कालीन यूपीए सरकार ने देश के कोल ब्लॉक्स को अवैध रूप से बिना किसी बोली प्रक्रिया के ही अपनी पसंदीदा कंपनियों को तय रेट कम कीमत पर दिया था जिस कारण देश के सरकारी खजाने को 1 लाख 86 हजार करोड़ रूपए यानि 1.86 ट्रिलियन रूपए का नुकसान हुआ था।
यह देश का पहला ऐसा घोटाला था जिसमे कैग ने सीधे तौर पर देश के प्रधानमंत्री पर उंगली उठाई थी। इस स्कैम में कई सारे नेताओं, अधिकारियों और कंपनियों के नाम सामने आए थे लेकिन सजा सिर्फ छोटे स्तर के अधिकारियों को ही मिल सकी। अभी भी कई बड़े नेता अपने पॉलिटिकल रसूख के कारण सजा से बचे हुए हैं।
1) वक्फ बोर्ड जमीन घोटाला (Wakf Board Land Scam)
सभी स्कैम्स को पछाड़ते हुए कर्नाटक का वक्फ बोर्ड घोटाला देश का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला बन चुका है। 2012 में कर्नाटक अल्पसंख्यक आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष अनवर मनिपद्दी ने इस घोटाले का खुलासा करते हुए बताया था कि सन 2000 से 2011 के बीच में कई बड़े राजनेताओं के साथ ही कई वक्फ बोर्डों के सदस्य, वक्फ अधिकारी, दलाल तथा भूमि माफिया ने मिलकर वक्फ बोर्ड की 22 हजार संपत्तियों पर कब्जा करके उसे निजी लोगों और संस्थानों को बेच दिया था जिसमे वक्फ बोर्ड की 27,000 एकड़ की जमीन भी शामिल थी। इससे कर्नाटक सरकार को करीब 2 लाख करोड़ रूपए या 2 ट्रिलियन रूपए का नुकसान उठाना पड़ा। हालांकि इस मामले में भी अभी जाँच जारी है।
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