सनातन धर्म में भूखे लोगों को खाना खिलाना बहुत बड़ा पुण्य का काम माना गया है। इतना हीं नही महाभारत की एक नीति में 5 ऐसे लोगों के बारे में कहा गया है, जिन्हें खाना खिलाना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस नीति के जरिए यह भी बताया गया है कि इन लोगों को खाना खिलाने पर जाने-अनजाने किए गए पापों से मुक्ति मिल सकती है। महाभारत के एक श्लोक से जानिए कौन-से हैं वे 5, जिन्हें भोजन करवाना शुभ होता है-
श्लोक-
पितृन् देवानृषीन् विप्रानतिथींश्च निराश्रयान्।
यो नरः प्रीणयत्यन्नैस्तस्य पुण्यफलं महत्।।
आइये जानते हैं 5 लोगों के बारे में-
1) भगवान को जरूर लगाएं भोग
सनातन धर्म के संस्कार के अनुसार घर के किसी भी सदस्य के भोजन करने से पहले उसका भोग भगवान को लगाना चाहिए। जिस घर में रोज भगवान को भोजन का भोग लगाया जाता है, वहां पर भगवान की कृपा हमेशा बनी रहती है। इसलिए रोज भगवान को भोजन का भोज लगाने का नियम जरूर बनाएं।
2) पितरों को
सनातन/हिन्दू धर्म में पितरों या स्वर्गवासी पुर्वजों को हमेशा देवतुल्य ही माना जाता है। कहा जाता है कि श्राद्ध पक्ष में पितरों को भोजन का भोग लगाने और पंडितों को भोजन करवाने से पितरों की तृप्ति होती है। जो लोग श्राद्ध पक्ष के दौरान पूरी श्रद्धा और ईमानदारी से पितरों और ब्राह्मणों की पूजा-अर्चना करते हैं और उन्हें भोजन करवाते हैं, उनकी सभी परेशानियां खत्म हो जाती हैं। इसलिए हमेशा अपने पितरों की कृपा और आशीर्वाद घर-परिवार पर बनाए रखने के लिए उन्हें अन्न का भोग जरूर लगाएं।
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3) पंडितों या ऋषियों को

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पंडितों को भोजन करवाना पुण्य का काम माना जाता है। जो मनुष्य समय-समय पर श्रेष्ठ पंडितों और ऋषियों को भोजन करवाता है, उस पर भगवान की कृपा बनी रहती है और उसे अपने सभी कामों में सफलता मिलती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, पंडितों को भोजन करवाने पर मनुष्य के जाने-अनजाने में किए गए पापों का प्रायश्चित हो जाता है। इसलिए, हर किसी को समय-समय पर योग्य पंडितों और ऋषियों को भोजन करवाना चाहिए।
4) घर आए मेहमान को
हमारे धर्मग्रन्थों के अनुसार, घर आया मेहमान भगवान के समान होता है। घर आए मेहमान के स्वागत की परंपरा हमारे देश में सदियों से चली आ रही है। जिस घर में मेहमानों का भोजन आदि से आदर-सम्मान किया जाता है, वहां पर देवता निवास करते हैं। ऐसे घर पर किसी तरह की मुसीबत ज्यादा समय तक टिक नहीं पाती। इसलिए किसी भी वजह से घर आए मेहमान को बिना भोजन करवाए न जाने दें।
5) बेघर लोगों को

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कई लोग गरीब, बेघर और असहाय लोगों को हीन दृष्टि से देखते हैं, जो कि बहुत ही गलत माना जाता है। हर किसी के मन में बेघर लोगों के प्रति प्रेम और अपनेपन की भावना होना चाहिए। जो मनुष्य बेघर लोगों को अपना समझ कर उनके साथ प्यार से व्यवहार करता है और उन्हें खाना खिलाता है, उसे समाज में बहुत मान-सम्मान और तरक्की मिलती है।
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