तमाम विरोधों और हड़तालों के बावजूद आखिरकार केंद्र सरकार 1 अप्रैल से दस बैंकों (Bank) का विलय (Merger) करने जा रही है। इस बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि इससे अर्थव्यवस्था में गति आएगी और बैंकों की एनपीए यानि नॉन परफार्मिंग एसेट्स की समस्या सुलझ जाएगी। हालांकि बैंकों से जुड़े कुछ संगठन इस विलय का विरोध कर रहे थे। इन संगठनों का कहना है कि इससे नौकरियों में कटौती होगी। आज हम आपको बताएंगे कि बैंकों के इस विलय से आम जनता और देश को क्या फायदा और क्या नुकसान होगा। सबसे पहले आइए जानते हैं
बैंक विलय क्या है? (What is a Bank Merger)
भारत में कई छोटी और बड़ी बैंक है, जो अपने संसाधन के अनुसार कार्य करती है। बैंकिंग व्यवस्था को सुधारने के लिए भारत सरकार दो या दो से अधिक बैंकों को मिला कर एक बैंक बनाती है इस प्रक्रिया को बैंक विलय कहा जाता है। विलय होने वाले बैंक इस प्रकार है-
- पंजाब नेशनल बैंक – ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया
- केनरा बैंक – सिंडिकेट बैंक
- यूनियन बैंक ऑफ इंडिया – आंध्र बैंक, कॉर्पोरेशन बैंक
- इंडियन बैंक – इलाहाबाद बैंक
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ये 12 बैंक बचेंगे अब
विलय की प्रक्रिया पूरी होने के बाद देश में 19 की जगह 12 सरकारी बैंक बचेंगे। विलय के बाद सरकारी क्षेत्र में भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक, यूनियन बैंक, इंडियन बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और यूको बैंक रह जाएंगे।
बैंक विलय के फायदे:
- बैंक विलय से बैंकों की स्थिति मजबूत होगी, बैंक और अधिक सस्ता तथा ज्यादा कर्ज बांट सकेंगे।
- बैंकों का विशाल होना न सिर्फ अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद है, बल्कि इससे उनके व्यावसायिक लागत में भी कमी आती है।
- बैंकों की नए राज्यों और क्षेत्रों में पहुंच बढ़ेगी।
- बैंक नयी तकनीक और विशेषज्ञता के साथ और भी बेहतर तरीके से काम कर सकेंगे।
- बैंक कर्मियों के वेतन में मौजूद असमानता दूर होगी।
- नए बैंक की परिसंपत्ति ज्यादा होगी, एनपीए कम होगा और कारोबार बढ़ेगा। इससे बैंक, होम लोन, ऑटो लोन जैसी कर्ज की दरों को घटा सकते हैं यानि इन बैंकों से कर्ज लेना सस्ता हो जाएगा।
बैंक विलय के नुकसान:
- बैंकों के विकेंद्रीकरण से क्षेत्रीय लाभ खत्म होंगे।
- बड़े बैंकों में आर्थिक संकट के वक्त ज्यादा जोखिम होगा यानि बैंक अगर घाटे में चल रही होगी तो आपके पैसे भी फंस सकते हैं।
- बैंक कर्मचारियों को तकनीकी स्तर पर चुनौती बढ़ेगी, जिससे उन्हे लगातार सीखते हुए खुद को टेक्नोलॉजी के साथ अपडेट करना होगा।
- बैंक कर्मियों का दूर-दराज के इलाके में ट्रांसफर होने की संभावना बढ जाएगी। इसके अलावा बैंक के बड़े अधिकारियों को मिलने वाली सुविधाओं में कमी की जा सकती है।
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ग्राहकों पर क्या पड़ेगा असर?
बदलना होगा चेकबुक-
कई बैंकों के विलय होने जा रहे हैं। ऐसे में अगर संबंधित बैंकों में आप का अकाउंट है तो सबसे पहले आप अपना चेकबुक बदलने के लिए तैयार हो जाइए। मौजूदा चेकबुक हालांकि कुछ समय के लिए मान्य रहेगा, लेकिन अंततः उन्हें उस बैंक के चेकबुक से बदलना पड़ता है, जिस बैंक में आपके बैंक का विलय हुआ है।
अकाउंट नंबर, कस्टमर ID में बदलाव-
आपको एक नया अकाउंट नंबर और कस्टमर ID मिल सकता है। इसके अलावा आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आपका ईमेल अड्रेस और मोबाइल नंबर बैंक के पास अपडेटेड हो, जिससे किसी बदलाव के बारे में आपको तुरंत जानकारी मिल सके। आपके सभी अकाउंट एक ID के साथ टैग होंगे। उदाहरण के लिए, अगर आपका एक अकाउंट आंध्र बैंक और एक अन्य कॉर्पोरेशन बैंक के साथ है, तो दोनों अकाउंट के लिए एक कस्टमर ID अलॉट की जाएगी।
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थर्ड पार्टीज के साथ डीटेल्स अपडेट करनी होंगी
जिन कस्टमर्स को नए अकाउंट नंबर या IFSC कोड अलॉट किए गए हैं, उन्हें इन डीटेल्स को विभिन्न थर्ड पार्टी एंटिटीज के साथ अपडेट करना होगा। इनमें इनकम टैक्स डिपार्टमेंट, इंश्योरेंस कंपनियां, म्यूचुअल फंड और नैशनल पेंशन सिस्टम (NPS) शामिल हैं।
नए ECS, SIP निर्देश-
मर्जर के बाद एंटिटी को सभी इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सर्विस (ECS) निर्देशों और पोस्ट डेटेड चेक को क्लियर करना होगा। अपने बैंक, फंड हाउस और इंश्योरेंस कंपनी से संपर्क कर नए ECS निर्देश जारी करवाने होंगे। जरूरत पड़ने पर आपको ECS से जुड़ा फॉर्म ऑनलाइन या अपनी ब्रांच के जरिए भरना होगा। ऑटो डेबिट या सिस्टेमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) के लिए आपको नया SIP रजिस्ट्रेशन और इंस्ट्रक्शन फॉर्म भरना पड़ सकता है। ऐसा ही लोन की ईएमआई के लिए भी करना होगा।
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बंद हो सकता है लोकल ब्रांच
बैंक की कुछ ब्रांच बंद हो सकती हैं और कस्टमर्स को नई ब्रांच में जाना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, आपकी मौजूदा होम ब्रांच ऐसी स्थिति में बंद हो सकता है, जब एक्वायर करने वाले बैंक की अपनी ब्रांच पास में ही हो। मान लीजिए कि आपका अकाउंट ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स में है और वहीं पास में पीएनबी की भी ब्रांच है तो इस बात की संभावना ज्यादा रहेगी कि पीएनबी, उस एरिया में ओरिएंटल बैंक की ब्रांच को बंद कर दे। इसके अलावा अपनी ब्रांच के लिए लागू नए IFSC और MICR कोड का ध्यान रखें, क्योंकि आपको फंड ट्रांसफर और अन्य फाइनैंशल ट्रांजैक्शंस के लिए इनकी आवश्यकता होगी।
डिपॉजिट, लेंडिंग रेट में बदलाव नहीं
- ऑफिशल मर्जर की डेट पर एक्वायर करने वाले बैंक की ओर से ऑफर किया जाने वाला फिक्स्ड डिपॉजिट रेट लागू होगा। हालांकि, मौजूदा फिक्स्ड डिपॉजिट के मैच्योरिटी होने तक पहले से तय इंट्रेस्ट मिलेगा।
- इसी तरह लोन पर इंटरेस्ट रेट भी वास्तविक अग्रीमेंट के अनुसार जारी रहेगा।
- इसके अलावा होम लोन के लिए मौजूदा इंट्रेस्ट रेट तब तक बरकरार रहेगा, जब तक नई एंटिटी इंट्रेस्ट रेट में बदलाव नहीं करती।
पीएनबी दूसरा सबसे बड़ा बैंक होगा
बैंक विलय की इन घोषणाओं के बाद पीएनबी के कारोबार का आकार 17.94 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा और इस तरह वह भारत का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक होगा। बता दें कि सबसे बड़े बैंक एसबीआई का कारोबार 52.05 लाख करोड़ रुपये है। वहीं केनरा बैंक विलय के बाद 15.20 लाख करोड़ के कारोबार के साथ चौथा सबसे बड़ा सरकारी बैंक बनेगा। उसके बाद यूनियन बैंक होगा जिसका कारोबार 14.59 लाख करोड़ रुपये होगा।
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