मलमास जिसे अधिकमास भी कहा जाता है, इसे ज्यादातर लोग अपवित्र महीना मानते हैं। लेकिन बहुत कम लोगों को ही मालूम होगा कि ये महीना भगवान विष्णु और शिव का महीना है। इसलिए पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। इस महीने में जितना हो सकें उतना दान-पुण्य करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि मलमास में किए गए दान, पूजा-पाठ और व्रत का कई गुना फल मिलता है। इन दिनों में भागवत पुराण का भी विशेष पाठ किया जाता है।
इसलिए आता है मलमास
जिस तरह अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से हर चार साल में एक बार लीप इयर आता है जिसमे फरवरी में 29 दिन होते हैं ठीक उसी तरह हिन्दू कैलेंडर के अनुसार हर तीन वर्ष में एक महीना अधिक जुड़ जाता है। दरअसल चन्द्रमा 29.5 दिनों में पृथ्वी की एक परिक्रमा पूरा करता है। चन्द्रमा की 12 परिक्रमा 354 दिन में पूरी होती है। इसलिये चन्द्र वर्ष 354 दिन का होता है, जो सौर वर्ष से 11 दिन कम होता है। इस प्रकार तीन वर्षों में 33 दिन का अंतर आ जाता है। इसी कमी को तीन वर्षों में 13 महीने मानकर एक महीने का मलमास पड़ता है।

हिन्दू कैलेंडर में 30 तिथियां होती हैं, जिसमें 15 दिनों का कृष्ण पक्ष और 15 दिनों का शुक्ल पक्ष होता है। कृष्ण पक्ष के 15वें दिन अमावस्या और शुक्ल पक्ष के 15वें दिन पूर्णिमा होती है। सूर्य और चंद्रमा की गति के आधार पर हिन्दू कैलेंडर बनाया जाता है। हिन्दू कैलेंडर की तिथियां घटती बढ़ती रहती हैं, यह अंग्रेजी कैलेंडर के 24 घंटे के एक दिन जैसे निर्धारित नहीं होती हैं। तीन वर्ष तक जो तिथियां घटती और बढ़ती हैं, उनसे बचे समय से हर तीन वर्ष पर एक माह का निर्माण होता है, जो अधिक मास या मलमास कहलाता है।
अधिकमास की पौराणिक कथा

अधिकमास की गिनती मुख्य महीनों में नहीं होती है। ऐसी कथा है कि जब महीनों के नाम का बंटवारा हो रहा था तब अधिकमास उदास और दुखी था। क्योंकि उसे दुख था कि लोग उसे अपवित्र मानेंगे। ऐसे समय में भगवान विष्णु ने कहा कि अधिकमास तुम मुझे अत्यंत प्रिय रहोगे और तुम्हारा एक नाम पुरुषोत्तम मास होगा जो मेरा ही एक नाम है। इस महीने का स्वामी मैं रहूंगा।
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उस समय भगवान ने यह कहा था कि इस महीने की गिनती अन्य 12 महीनों से अलग है इसलिए इस महीने में लौकिक कार्य भी मंगलप्रद नहीं होंगे। लेकिन कुछ ऐसे कार्य हैं जिन्हें इस महीने में किए जाना बहुत ही शुभ फलदायी होगा और उन कार्यों का संबंध मुझसे होगा।
इस मास में कौन सा शुभ काम किया जा सकता है?
कहते हैं कि अधिक मास में भगवान विष्णु की सत्यनारायण की कथा करनी चाहिए। इस दिन कोशिश करें कि पीली वस्तुओं का दान करें। गुरुवार को यह दान आपकी कुंडली में गुरु को बलवान करेगा। इससे आपके जीवन में सफलता के योग बनेंगे। इस महीने सुबह उठकर भगवान विष्णु की अराधना करें, उन्हें केसर से तिलक करें और तुलसी पूजा करें। भगवान विष्णु को खीर का भोग लगाएं, साथ हीं सूर्य को जल अर्पित करें।
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अधिकमास में विष्णुजी की पूजा करने से माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और आपके घर में धन वैभव के साथ सुख और समृद्धि आती है। इस महीने में जितना हो सकें दान-पुण्य करें। ऐसी मान्यता है कि मलमास में किए गए दान, पूजा-पाठ और व्रत का कई गुना फल मिलता है।
अधिकमास में कौन से शुभ काम वर्जित है?
मलमास के समय में मांगलिक कार्यों जैसे कि विवाह, मुंडन, उपनयन संस्कार, गृह प्रवेश आदि की मनाही होती है। शुभ कार्य मलमास के समय में वर्जित होते हैं। हालांकि खरीदारी आदि की मनाही नहीं होती है। शास्त्रों के अनुसार, मलमास के दौरान श्रद्धालु व्रत- उपवास, महामृत्युंजय मंत्र का जाप, पूजा-पाठ और कीर्तन-मनन करते हैं।
ऐसे इस मास के दौरान यज्ञ-हवन के अलावा, श्रीमद्भागवत, श्री विष्णु पुराण आदि पढ़ने-सुनने से लाभ होता है। ऐसी मान्यता है कि पूरे वर्ष के किए गये शुभ कर्म और एक मलमास में किए शुभ कर्म बराबर माने गए हैं।
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